रोहित की कप्तानी और कमज़ोर मैनेजमेंट ने किया भारतीय टीम का बेडा गर्क

जसप्रीत बुमराह की कप्तानी में पर्थ टेस्ट मैच जीतने के बाद सबको उम्मीद थी की भारत एडिलेड में खेले जाने वाला पिंक बॉल टेस्ट भी जीत जायेगा।

हालाँकि हुआ इसके बिलकुल विपरीत, रोहित की कप्तानी इस बार भी न्यूज़ीलैंड सीरीज़ की तरह फ्लॉप साबित हुई।

जैसे की हम जानते है की रोहित शर्मा काफी समय से अपनी बुरी फॉर्म से जूझ रहे है। जब भी वह बल्लेबाज़ी करने उतरते है तो 5-10 गेंदे खेलकर आउट हो जाते है।

और फिर उनके छोटे-छोटे स्कोर्स को इंटेंट और सेल्फलेस खेल का नाम देकर ढक दिया जाता है।

माना की रोहित की कप्तानी में भारत ने टी-20 वर्ल्ड कप जीता है, लेकिन टी-20 की कप्तानी करना और टेस्ट की कप्तानी करना दोनों अलग बात है।

टेस्ट की कप्तानी और उनकी बल्लेबाज़ी न्यूज़ीलैण्ड सीरीज़ से लेकर अभी तक काफी लचक रही है।

रोहित की कप्तानी के दौरान न तो फील्डिंग में कोई ऊर्जा नज़र आती है न कोई ढंग के बदलाव और जब से वह वापस आये है उनकी फिटनेस भी काफी ख़राब नज़र आ रही है। जिसकी वजह से उनका काफी मज़ाक भी बन रहा है।

इन सब खामियों की बावजूद रोहित कप्तान बने हुए है, ऐसा लग रहा है की रोहित को खिलाना टीम मैनेजमेंट की मजबूरी बन गयी है।

अगर अभी भी रोहित शर्मा कप्तान बने रहते है तो आगे भी भारत की हार हो सकती है।

ऐसे में टीम मैनेजमेंट को चाहिए की वह रोहित शर्मा की जगह बुमराह को कप्तानी का मौका दे।

इसके अलावा आश्विन की जगह सुन्दर को लेकर आये जिससे भारतीय टीम को बल्लेबाज़ी में भी मज़बूती मिले।

बल्लेबाज़ों का ख़राब शॉट सिलेक्शन बना सर दर्द

एडिलेड टेस्ट में भारतीय बल्लेबाज़ों का शॉट सिलेक्शन बहुत ही ख़राब नज़र आया।

फिर चाहे वह के एल राहुल का पुल हो या अश्विन का शॉट, जब पैट कम्मिंस गेंदबाज़ी करने आए तो वह आश्विन को बार-बार बाउंसर डाल रहे थे। गेंद को छोड़ने की बजाय आश्विन बार बार पुल लगाने की कोशिश कर रहे थे और अंत में गेंद उनके दस्तानों को छूकर कीपर के हाथों में चली गयी।

और कुछ ऐसी ही बेवकूफी हर्षित राणा ने भी की, वह भी बार बार शरीर पर आने वाली बाउंसर्स को खेले जा रहे थे, जबकि एक बार तो उनका कैच भी छूटा। फिर भी उन्होंने उससे कोई सीख नहीं ली और दुबारा बाउंसर पर आउट हो गए।

अगर अश्विन नितीश रेड्डी का थोड़ा साथ और देते तो भारत एक सम्मानजनक स्कोर तक जा सकता था।

आखिर किस तरह की हो रही है कोचिंग ?

जिस तरह के शॉट्स खेलकर बल्लेबाज़ आउट हो रहे है ऐसा लगता ही नहीं की उनकी बाउंसर्स को लेकर कोई तैयारी हुई है।

क्या भारतीय कोच खिलाड़ियों को बाउंसर्स छोड़ने की प्रैक्टिस नहीं कराते ?

क्या कोई विराट कोहली से उनकी तकनीक को लेकर बात नहीं करता ? क्यूंकि कुछ समय से विराट ऑफ स्टंप की सारी गेंदे खेलने के चक्कर में आउट हो रहे है।

आज हमारे पास कोई भी चेतेश्वर पुजारा या रहाणे जैसा खिलाडी नहीं है जो क्रीज़ पर समय बिताना जानता हो।

ऐसे में हम कैसे टेस्ट मैच जीतेंगे ? अगर अभी भी टीम मैनेजमेंट ने बल्लेबाज़ी को लेकर कठोर निर्णय नहीं लिए तो वो दिन दूर नहीं होगा जब हम बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी भी गवा देंगे।

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