Champions Trophy 2025: भारत के सेमीफाइनल में पहुंचते ही प्रतिद्वंदियों का रोना शुरू

दुबई में खेले गए तीसरे मैच में भारत ने न्यूज़ीलैंड को हराकर टेबल टॉप कर लिया है। जिसके बाद भारत अपना सेमीफाइनल मैच 4 मार्च 2025 को दुबई में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ खेलेगा। अभी तक के खेले गए मुकाबलों में न्यूजीलैंड अपराजित था और भारत के 35 रन पर तीन विकेट गिरने के बाद लोगों को लग रहा था कि शायद ये मुक़ाबला भी न्यूज़ीलैंड ही जीतेगी। हालांकि जल्दी विकेट गिरने के बाद जिस तरह से श्रेयस अय्यर, अक्षर पटेल और हार्दिक पंड्या ने बल्लेबाजी की वह क़ाबिले तारीफ़ थी। श्रेयस अय्यर ने 79, अक्षर पटेल ने 42, हार्दिक ने 45 रन को योगदान दिया जिसके बदोलत भारतीय टीम 249 का लक्ष्य खड़ा कर पायी।

चेज़ करने उतरी न्यूज़ीलैंड की टीम को ठीक-ठाक शुरुवात मिली लेकिन मध्य क्रम में ओवर्स में वह भारतीय स्पिनर्स के जाल में उलझ के रह गई। सिर्फ़ विलियमसन की पारी को छोड़ दें तो कोई और बल्लेबाज़ आत्मविश्वास से खेलता हुआ नज़र नहीं आया। एक-एक करके वरुण चकरबर्ती ने न्यूज़ीलैंड के खिलाड़ियो को अपनी फिरकी के जाल में फसा लिया।

पोस्ट मैच प्रेजेंटेशन में वरुण से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि मैच शुरू होने से पहले वह काफ़ी घबराए हुए थे क्यूंकि चैंपियंस ट्रॉफी में उनका ये पहला मैच था। फ़ील्डिंग के दौरान उनकी ये घबराहट नज़र भी आयी जब उन्होंने एक कैच के साथ-साथ चार रन भी बाउंड्री पर दे दिए। उसके बाद रोहित, विराट और अन्य सीनियर खिलाड़ियो ने उनको कॉन्फिडेंस दिया। जिसके बाद उन्होंने जबरदस्त वापसी की और अपने पहले ही चैम्पियंस ट्रॉफी मैच में 5 विकेट्स ले लिए।

वरुण के अलावा अक्षर पटेल, कुलदीप यादव, जडेजा और शमी ने भी उनका भरपूर साथ दिया जिसकी वजह से न्यूज़ीलैंड की टीम सिर्फ़ 205 रन बना कर ऑल आउट हो गई और भारत ने ये मैच 44 रनों से जीत लिया।

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भारत की जीत से कुछ प्रतिद्वंदियों को लगी मिर्च, रोना धोना हुआ चालू

जैसा की आप सब जानते है की चैंपियंस ट्रॉफी को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच काफ़ी विवाद हुआ था। पाकिस्तान चाहता था कि भारत वहाँ आए, हालांकि खिलाड़ियों की सिक्योरिटी का हवाला देकर भारत ने वहाँ जाने से मना कर दिया था और हाइब्रिड मॉडल पर दोनों देशों में रज़ामंदी हुई थी। जिसमें ये पहले ही तय हो गया था कि भारत अपने सारे मैच दुबई में खेलेगा और यदि भारत सेमीफाइनल और फाइनल में पहुंचता है तो उसके वह मैच भी दुबई में ही खेले जाएँगे।

पाकिस्तान ने कुछ समय तक इस बात का विरोध भी किया, जिसके बाद ICC ने वोटिंग भी करवायी जिसमे अधिकतर वोट भारत के पक्ष में हुए और आख़िरकार तय हो गया की भारत पाकिस्तान नहीं जाएगा और उसके सारे मैच दुबई में ही होंगे।

यहाँ तक तो सब ठीक था, चैंपियंस ट्रॉफी का शेड्यूल आने के बाद हर एक न्यूज़ और यूट्यूब चैनल पर चर्चा होने लगी। पाकिस्तान, इंग्लैंड, न्यूज़ीलैंड और साउथ अफ़्रीका जीत के दावेदार माने जा रहे थे। कुछ लोग भारत और ऑस्ट्रेलिया को उतना रेट नहीं कर रहे थे क्यूंकि भारत की टीम में बुमराह और शमी नहीं थे और भारतीय बल्लेबाजों की फॉर्म भी ख़राब चल रही थी। दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया में पैट कमिंस व अन्य महत्वपूर्ण बॉलर्स चैंपियंस ट्रॉफी का हिस्सा नहीं थे।

टीम के हारते ही इन दिग्गजों के किया रोना धोना शुरू

चैंपियंस ट्रॉफी से पहले इंग्लैंड की टीम काफ़ी ख़तरनाक नज़र आ रही थी हालांकि भारत से T20 और ODI सीरीज बुरी तरह से हारने के बाद उनका आत्मविश्वास डगमगा गया और वह चैंपियंस ट्रॉफी में अपने लीग मैच हारने लगी। वही भारत अपने पहले दोनों मैच बांग्लादेश और पाकिस्तान से सहजता से जीत गई।

जिसके बाद एक पॉडकास्ट के दौरान नासिर हुसैन और माइकल एथर्टन ने कहा कि भारत को दुबई में खेलने का फ़ायदा है क्यूंकि वह एक ही जगह, एक ही ग्राउंड, और एक ही होटल में है। उनको वहाँ की कंडीशंस बहुत अच्छे से समझ आ गई है और उसी हिसाब से उन्होंने अपनी टीम चुनी है।

वही दूसरी ओर इंज़ेमाम उल हक, पैट कमिंस और साउथ अफ्रीकन खिलाड़ी रयान रिकेल्टन भी एक चैनल पर कंडीशंस का रोना रोते नज़र आये। यही नहीं पाकिस्तान के कुछ यूट्यूबर और टीवी चैनल्स भी पाकिस्तान के बाहर होते ही एडवांटेज का बहाना देते दिखे।

जो लोग आज भारत को कंडीशंस के फायदे की बात कर रहे है। क्या उन्हें नहीं पता था की यदि भारतीय टीम पाकिस्तान आती तो भी वह अपने सारे मैच लाहौर के एक ही ग्राउंड में खेलती, एक ही होटल में रुकती?

अगर कंडीशंस इतना ही मायने रखते है तो पाकिस्तान अपने घर में और इंग्लैंड जिसने अपने दोनों मैच एक ही जगह खेले वह कैसे हार गए?

कुल मिला कर कहा जाये तो चैंपियन टीम वही होती है जो हर कंडीशंस में अपने आपको ढाल ले, जैसे भारत ने पिछले साल टी20 वर्ल्ड कप में किया और जीता भी।

क्या इंग्लैंड और पाकिस्तान जैसी टीम जो कंडीशंस का रोना रो रही है वह चैंपियंस ट्रॉफी की हकदार है? बिल्कुल भी नहीं, ऐसी रोने-धोने वाली टीमों को आईसीसी टूर्नामेंट्स नहीं बल्कि किसी गली मोहल्ले की टीम के साथ खेलना चाहिए।

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